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For the first time, Nepal will be led by a woman Prime Minister, Sushila Karki. A bold necessary step, a new beginning.

 

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नेपाल को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री, पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की ने संभाला पद



काठमांडू: लंबे राजनीतिक गतिरोध और खींचतान के बाद आखिरकार नेपाल को उसकी पहली महिला प्रधानमंत्री मिल गई हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति ने उन्हें शपथ दिलाई। यह नियुक्ति नेपाल की राजनीति में एक ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि कार्की के नाम पर आम सहमति खासकर युवाओं और जेन-जेड वर्ग में देखने को मिली। काठमांडू के मेयर और प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार बालेन शाह ने भी उनके पक्ष में समर्थन जताया। वहीं, नेपाल बिजली प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख कुलमान घिसिंग का नाम भी अंतरिम प्रधानमंत्री की दौड़ में प्रमुखता से चर्चा में था।

संघर्ष और पहचान

सुशीला कार्की लंबे समय से भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ खुलकर आवाज उठाती रही हैं। मुख्य न्यायाधीश रहते हुए उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए, जिनमें भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई शामिल थी। इसी कारण युवाओं ने उन्हें बदलाव की प्रतीक मानते हुए पूरा समर्थन दिया।

पहली महिला चीफ जस्टिस से पहली महिला प्रधानमंत्री तक

73 वर्षीय कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश भी रही हैं। 7 जून 1952 को बिराटनगर में जन्मीं कार्की 11 जुलाई 2016 को सुप्रीम कोर्ट की प्रमुख बनीं। हालांकि, लगभग एक साल बाद 30 अप्रैल 2017 को उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया और उन्हें पद से निलंबित कर दिया गया।

कार्की अपने माता-पिता की सात संतानों में सबसे बड़ी हैं। उन्होंने 1972 में बिराटनगर के महेंद्र मोरांग कैंपस से स्नातक और 1975 में भारत के बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स किया। 1978 में उन्होंने त्रिभुवन यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की और अगले ही साल से वकालत शुरू कर दी।

भारत को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण

हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में कार्की ने अपने भारत से गहरे जुड़ाव की बात कही। उन्होंने कहा कि BHU के शिक्षक, दोस्त और गंगा नदी की यादें आज भी ताजा हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि भारत-नेपाल के बीच रिश्ते ऐतिहासिक और भावनात्मक हैं।

उन्होंने कहा, “दोनों देशों की सरकारों के बीच संबंध एक बात है, लेकिन भारत और नेपाल के लोगों के बीच का रिश्ता बेहद आत्मीय और प्रेम से भरा हुआ है। हम भारतीय नेताओं को अपना भाई-बहन मानते हैं।”

कार्की का जन्मस्थान बिराटनगर भारत सीमा से महज 25 मील की दूरी पर है। उन्होंने बताया कि वह अक्सर सीमा बाजार जाती थीं। उनके इस दृष्टिकोण को नेपाल की सत्ता में उनका आना भारत-नेपाल संबंधों के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।


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