असम में आदिवासियों को भूमि का मालिकाना हक देने का विधेयक पास, चंपाई सोरेन ने जताया आभार
सवाल—बंगाल में कब मिलेगा अधिकार?
अशोक झा/ सिलीगुड़ी
असम सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए चाय बागानों में 200 सालों से बसे आदिवासी और अन्य श्रमिकों को भूमि पर मालिकाना अधिकार देने का विधेयक पास कर दिया है। इस फैसले का सबसे बड़ा लाभ उन लाखों आदिवासी परिवारों को मिलेगा जो पीढ़ियों से चाय बागानों में काम कर रहे हैं।
इस निर्णय पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि असम सरकार ने उन अधिकारों को मान्यता दी है, जिन्हें पूर्ववर्ती सरकारों ने वर्षों तक नज़रअंदाज किया।
चंपाई सोरेन ने जताया आभार
चंपाई सोरेन ने ‘एक्स’ पर लिखा—
“असम सरकार ने चाय बागान के मजदूरों को भूमि का मालिकाना हक देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इससे 200 वर्षों से बसे आदिवासी समाज को सम्मान मिला है। इसके साथ ही असम कैबिनेट ने झारखंड की माटी से जुड़े आदिवासियों को ST में शामिल करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी है। हम असम सरकार का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।”
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकारों ने हमेशा आदिवासी श्रमिकों के अधिकारों को नकारा, जबकि असम की भाजपा सरकार ने उनके संघर्ष को सम्मान दिया।
बंगाल सरकार पर सीधा हमला
चंपाई सोरेन ने पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा—
“बंगाल सरकार अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने नहीं देना चाहती, ताकि घुसपैठिए आसानी से आवाजाही कर सकें।”
“बांग्लादेश सीमा पर बाड़ के लिए जमीन रोकना केवल राजनीति नहीं, बल्कि राष्ट्रद्रोह है।”
“बंगाल की जनता ऐसे देश-विरोधी तत्वों को जवाब देगी।”
उन्होंने सवाल उठाया कि “जब असम में आदिवासियों को अधिकार मिल सकता है, तो पश्चिम बंगाल में कब मिलेगा?”
SIR सर्वे को लेकर बड़ा दावा
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा—
“चुनाव आयोग के अनुसार लगभग 15 लाख फर्जी वोटर कार्ड पकड़े गए हैं। SIR सर्वे पूरा होने तक यह आंकड़ा बिहार में पकड़े गए फर्जी वोटर कार्ड से भी अधिक हो सकता है।”
उन्होंने दावा किया कि 22 दिसंबर को वह संथाल परगना के कई क्षेत्रों का दौरा करेंगे और उनके वहां पहुंचते ही “बांग्लादेशी घुसपैठिए पलायन करने लगेंगे।”



