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कालचीनी हिंदी हाई स्कूल परिसर में आज स्कूल के प्रथम प्रधान अध्यापक स्व. राधाकृष्ण झा की प्रतिमा का उद्धघाटन किया गया


कालचीनी हिंदी हाई स्कूल परिसर में आज स्कूल के प्रथम प्रधान अध्यापक स्व. राधाकृष्ण झा की प्रतिमा का उद्धघाटन किया गया




'आप ज्ञानी तो हो अब आप बुद्धिमान बनो यह शब्द हैं ' कालचीनी हिंदी हाइस्कूल के प्रथम प्रधान अध्यापक स्व. राधाकृष्ण झा जी का । आज कालचीनी हिंदी हाइस्कूल परिसर में कालचीनी हिंदी हाई स्कूल के प्रथम प्रधान अध्यापक स्व. राधाकृष्ण झा की प्रतिमा का उद्धघाटन किया गया है। आज इस अवसर में उनके महान विचार को याद करते हुए उनके ही एक छात्र पंकज लामा ने अपने गुरु के एक शब्द को दोहराते हुवे कहा कि आप ज्ञानी तो हो अब आप बुद्धिमान बनो और इस ज्ञानी और बुद्धिमान के बीच का जो एक बड़ा फासला है उसे दूर करने का कार्य गुरु स्व. राधाकृष्ण झा जी किया करते थे। आज स्कूल परिसर में कार्यक्रम आयाजित किया गया था जहाँ इस अवसर पर कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रुप में स्कूल प्रबंधन कमिटी के सभापति मोहन शर्मा साथ ही यूनियन एकाडेमी एवं उत्तर लोथाबारी स्कूल के प्रधान शिक्षक और शिक्षिका और स्कूल के भूतपूर्व शिक्षकगण उपस्थित थे । इस जगह बड़े भव्यता के साथ पिछले कई दिनों से कार्यक्रम की तैयारी चल रही थी इसी बीच मात्र दो रोज पहले ही स्कूल के पूर्व शिक्षक भीष्म नाथ सिंह ठाकुर जी का गत 19 दिसम्बर के दिन देहांत हो जाने से यह कार्यक्रम साधारण रूप से सम्पन्न किया गया वहीं इस कार्यक्रम में पूर्व शिक्षक भीष्म नाथ सिंह ठाकुर को स्मरण करते हुवे शोक सभा किया गया। 





कार्यक्रम आयोजक कमिटी के ओर से पंकज लामा, प्रभात थापा, कमल शर्मा आदि सदस्यों ने बताया कि एक तरफ स्कूल के प्रधान अध्यापक स्व. राधाकृष्ण झा जी के मूर्ति के आज उद्घाटन की खुशी है तो वहीं दुसरी ओर 2 रोज पहले इसी स्कूल के भूतपूर्व शिक्षक 72 बर्षीय भीष्मनाथा सिंह ठाकुर‌ जी का निधन से हम सब शोकमग्न भी हैं। इधर स्कूल प्रबंधन कमिटी के सभापति मोहन शर्मा ने कहा की अध्यापक स्व. राधाकृष्ण झा  एक साधारण जीवन जीने वाले  शिक्षक थे और स्कूल को इस मुकाम में पहचाने में  उनका बहुत बड़ा योगदान है। वह चाय बागानों में रोजाना जाया करते थे और श्रमिक के माता पिता को घंटो समझाते थे और उनके बच्चों को स्कूल लाया करते थे ताकि चाय बगान श्रमिक के बच्चें भी शिक्षा ले सके। उन्होंने कहा कि आज उन्हें सम्मान देने का कार्य जो उनके भूतपूर्व छात्रों के द्वारा किया गया है उसके लिए वह उन्हें दिल से साधुवाद देते हैं।

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