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चुनावी रणनीति में पास, क्या चुनाव में होंगे फेल! पहली परीक्षा में पस्त नजर आ रहे प्रशांत किशोर

बंपर वोटिंग के साथ बिहार में एनडीए बहुमत की ओर — महागठबंधन पिछड़ा, एग्जिट पोल में नीतीश-मोदी गठजोड़ को बढ़त



चुनावी रणनीति में पास, क्या चुनाव में होंगे फेल! पहली परीक्षा में पस्त नजर आ रहे प्रशांत किशोर

बिहार विधानसभा चुनाव में दोनों चरणों को मिलाकर कुल 66.91 फीसदी मतदान हुआ। राज्य में 1951 में चुनाव होने के बाद से यह अब तक का सबसे ज़्यादा प्रतिशत मतदान हुआ है। इस चुनाव में महिलाओं ने रिकॉर्ड मतदान किया। महिलाओं का वोट प्रतिशत जहां 71.6 फीसदी रहा वहीं पुरुषों का यह प्रतिशत 62.8 फीसदी रहा। महिलाओं ने पहले चरण में 69.04 व दूसरे चरण में 74.03 फीसदी और पुरुषों ने पहले चरण में 61.56 फीसदी व दूसरे चरण में 64.1 फीसदी मतदान किया। अंतिम चरण के मतदान में दोपहर 5 बजे तक ही मतदान का रिकॉर्ड टूट गया था। चुनाव आयोग के मुताबिक 5 बजे तक 67.14% वोटिंग हो चुकी थी। ये आंकड़ा काफी उत्साहजनक है। इस तरह पहले चरण के मुकाबले अंतिम चरण में मतदान का आंकड़ा और बढ़ गया। किशनगंज में सबसे ज्यादा 76.26 प्रतिशत मतदान हुआ, उसके बाद कटिहार (75.23 प्रतिशत), पूर्णिया (73.79 प्रतिशत), सुपौल (70.69 प्रतिशत) और पूर्वी चंपारण (69.31 प्रतिशत) का स्थान रहा। इस चरण में कुल 122 विधानसभा क्षेत्रों में अंतिम दौर का मतदान हुआ। बिहार के दोनों चरण में हुई बंपर वोटिंग का फायदा नीतीश कुमार और एनडीए को होता दिखाई दे रहा है। एग्जिट पोल में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलने से इसका संकेत है। बंपर वोटिंग हमेशा सत्ता बदलने के संकेत नहीं देती। ज्यादा से ज्यादा संख्या में वोट देने निकलीं महिलाओं ने यह स्पष्ट तौर पर दिखाया कि उनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।चाणक्य स्ट्रै़टेजीज ने एनडीए को दी बढ़त

चाणक्य स्ट्रैटेजीज ने एनडीए की बढ़त दी है। चाणक्य स्ट्रै़टेजीज के मुताबिक एनडी को 130-138 सीट मिल सकती हैं, जबकि महागठबंधन को 100-108 और अन्य को 3-5 सीट मिलने की उम्मीद है।

मैट्रिज-आईएएनएस ने एनडीए को 147-167 सीट मिलने का अनुमान लगाया

मैट्रिज-आईएएनएस बिहार विधानसभा चुनावों के लिए पहला एग्जिट पोल अनुमान जारी कर दिया है। इसने एनडीए को स्पष्ट बढ़त मिलने का अनुमान लगाया है। मैट्रिज-आईएएनएस के एग्जिट पोल ने एनडीए को 147-167 और महागठबंधन को 70-90 सीट मिलने का अनुमान लगाया है। एग्जिट पोल में जन सुराज को 0-2 और अन्य को 2-8 सीटें मिलती दिख रही हैं।

पीपुल्स पल्स के मुताबिक एनडीए आगे

पोलस्टर पीपुल्स पल्स ने भी बिहार विधानसभा चुनावों के लिए एग्जिट पोल अनुमान जारी किया है। इसके मुताबिक चुनाव में एनडीए को 133-159, महागठबंधन को 75-101, जन सुराज को 0-5 और अन्य को 2-8 सीट मिलने की उम्मीद है।

पीपुल्स इनसाइट ने एनडीए की जीत का अनुमान लगाया

पीपुल्स इनसाइट ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बड़ी जीत का अनुमान लगाया है। पीपुल्स इनसाइट के एग्जिट पोल के अनुसार एनडीए को 133-148, महागठबंधन को 87-102, जन सुराज पार्टी को 0-2 और अन्य 3-6 मिल सकती हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया का एग्जिट पोल

टाइम्स ऑफ इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार बिहार में एनडीए को बढ़त हासिल है। इसके एग्जिट पोल में विधानसभा की 243 सीटों में से एनडीए को 147-167, महागठबंधन को 70-90 और अन्य को 2-6 सीटें मिलने का अनुमान है।

जेवीसी ने लगाया एनडीए की जीत का अनुमान

जेवीसी के एग्जिट पोल ने एनडीए की जीत का अनुमान लगाया है और महागठबंधन को दूसरे स्थान पर रखा है।पोलस्टर जेवीसी के एग्जिट पोल के मुताबिक बिहार में एनडीए को 135-150, महागठबंधन को 88-103 जन सुराज को 0-1 और अन्य को 3-7 सीट मिलने की भविष्यवाणी की है।


महिलाओं से जुड़ी नीतियों का नीतीश को फायदा: 

महिलाओं का झुकाव नीतीश कुमार और एनडीए की ओर होने का सबसे बड़ा कारण बिहार सरकार की महिलाओं को लेकर लागू की नीतियां और घोषणाएं रहीं। 2005 में नीतीश कुमार बिहार में सत्ता में एंट्री करते ही यह बात समझ चुके थे कि महिला मतदाताओं का प्रदेश में अहम रोल होगा, क्योंकि यहां की महिलाएं अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा जागरूक हैं. 10 हजार रुपये जैसी योजनाओं को महिला फ्री नहीं, अपना हक समझती हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल के नतीजे आ चुके हैं।अधिकांश एग्जिट पोल में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को बहुमत का आंकड़ा पार कर बिहार की सत्‍ता में वापसी दिखाई गई है।एग्जिट पोल के नतीजे से सभी चुनावी पंडित और जन सुराज के नेता परेशान क्यों हैं? बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण का मतदान समाप्त होने के बाद एग्जिट पोल के जो नतीजे सामने आए हैं, उन्होंने पूरे बिहार के सियासी गलियारों में हड़कंप मचा दिया है.

बिहारर चुनाव के अधिकांश एग्जिट पोल एनडीए को पूर्ण बहुमत देते हुए दिखा रहे हैं, जिससे बीजेपी और जेडीयू के खेमे में उत्सव का माहौल है. लेकिन इन नतीजों से सबसे ज्यादा हैरान और परेशान चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) और उनकी पार्टी जन सुराज के नेता हैं।एग्जिट पोल के आंकड़ों ने उनके द्वारा तैयार की गई सभी रणनीतियों और आकलनों को पूरी तरह से झुठला दिया है।चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने कहा था कि उनकी पार्टी या तो 'अर्श पर' होगी या 'फर्श पर', लेकिन कोई बीच का रास्ता नहीं होगा. अब एग्जिट पोल्स के मुताबिक जन सुराज फर्श पर नजर आ रही है. किशोर की पार्टी ने बिहार में बड़ी मौजूदगी जरूर दर्ज कराई, लेकिन वोटों को सीटों में बदलने में असफल रही. इसने राजद-कांग्रेस गठबंधन के वोट बैंक पर भी बड़ा असर नहीं डाला.

'कंसल्टेंट से जन नेता' बनने की कोशिश

प्रशांत किशोर, जिन्होंने कभी नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं की चुनावी रणनीति बनाई थी, इस बार खुद एक जन नेता के रूप में उभरे. तीन साल की पदयात्रा और जनता से सीधे संवाद के जरिए उन्होंने जन सुराज का निर्माण किया. नौकरी, शिक्षा और पलायन जैसे मुद्दों पर फोकस करते हुए किशोर ने जातीय समीकरणों से ऊपर उठने की कोशिश की. उनके भाषण वायरल हुए, रैलियों में भीड़ उमड़ी, लेकिन वोट में तब्दील नहीं हुए। 

भीड़ से वोट तक नहीं पहुंची जन सुराज की लहर

जन सुराज का नाम और झंडा भले ही बिहार के हर इलाके में दिखाई दिया, मगर वोट प्रतिशत में इसका असर सीमित रहा. अधिकांश सर्वेक्षणों ने पार्टी को शून्य से पांच सीटों तक की रेंज में रखा है. दैनिक भास्कर और पी-मार्क जैसे पोल्स ने भी पार्टी को अधिकतम चार सीटों से ज्यादा नहीं दी. इसका मतलब साफ है- जागरूकता और जमीनी वोटों के बीच अभी भी लंबा फासला बाकी है।PK का 'बदलाव का प्लान' हुआ फेल:  प्रशांत किशोर पिछले कुछ सालों से बिहार की राजनीति में सक्रिय थे और 'जन सुराज' के माध्यम से लगातार यह दावा कर रहे थे कि बिहार की जनता बदलाव चाहती है। उनके सर्वे और जमीनी आंकलन यह संकेत दे रहे थे कि नीतीश कुमार के खिलाफ 'एंटी-इनकम्बेंसी' इतनी ज्यादा है कि एनडीए को इस बार बहुमत मिलना मुश्किल होगा। उन्होंने महागठबंधन को बढ़त मिलने या त्रिशंकु विधानसभा बनने की भविष्यवाणी की थी। लेकिन तकरीबन सभी टीवी चैनल्स ने एग्जिट पोल ने एनडीए को 140 से अधिक सीटें दिखाकर उनके सभी आकलनों पर पानी फेर दिया है।

अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान का 'मास्टरस्ट्रोक': 

प्रशांत किशोर के 'बदलाव के प्लान' को धराशायी करने का पूरा क्रेडिट बीजेपी के दो कद्दावर नेताओं को जा रहा है। ये हैं केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह और बिहार चुनाव के प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान। इन दोनों नेताओं की रणनीति ने पीके के दावों को गलत साबित कर दिया। अमित शाह की माइक्रो मैनेजमेंट ने बिहार में कमाल कर दिया। शाह ने चुनाव से पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अगला चुनाव सिर्फ सुशासन के नाम पर नहीं, बल्कि सुरक्षा, राष्ट्रवाद और केंद्रीय योजनाओं के आधार पर लड़ा जाएगा। उन्होंने बिहार में '360 डिग्री कवरेज' के तहत हर छोटी सीट पर बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया, जिसने कमजोर पड़ी जेडीयू की मदद की।

बीजेपी के चाणक्य का दिखा दम!:  धर्मेंद्र प्रधान की सीट मैनेजमेंट और लगातार कैंपेन ने एनडीए को फायदा पहुंचाया।प्रधान ने समीकरणों को समझते हुए सीटों के चुनावी लड़ाकों को प्रभावी ढंग से मैनेज किया। उन्होंने ध्रुवीकरण योगी फैक्टर और 'बुर्का पॉलिटिक्स' जैसे मुद्दों को आगे लाकर वोटरों के एजेंडे को बदलने में सफलता पाई। यह रणनीति सीमांचल जैसी 122 सीटों पर खासकर प्रभावी रही। एनडीए की रणनीति ने नीतीश कुमार के महिला मतदाताओं के बीच की छवि और पीएम मोदी के विकास के मुद्दे को जोड़कर पेश किया। यह रणनीति तेजस्वी यादव के 'नौकरी' के वादे को काटने में सफल रही। 10 हजार रुपये और 1100 रुपये पेंशन जैसी लाभार्थी स्कीम एनडीए के लिए गेम चेंजर साबित हुआ। एग्जिट पोल के नतीजे यही बताते हैं कि प्रशांत किशोर का सिर्फ 'एंटी-इनकम्बेंसी' पर निर्भर रहना गलत साबित हुआ, जबकि बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने माइक्रो-लेवल पर जाकर एक जटिल चुनावी गणित को सफल कर दिखाया।अब जन सुराज और अन्य चुनावी पंडितों को 14 नवंबर के फाइनल नतीजों का इंतजार है यह देखने के लिए कि यह 'खेला' कितना सटीक बैठता है।


अंगिका और भोजपुर में NDA भारी

आईएएनएस-मैटराइज के एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक, अंगिका में विधानसभा की कुल 30 सीटें हैं, जिनमें एनडीए को 20-23 सीटें, महागठबंधन को 7-10 सीटें और अन्य को 0-1 सीट मिलने का अनुमान है. वहीं, भोजपुर रीजन की 67 सीटों में से एनडीए के खाते में 37-42 सीटें, महागठबंधन के खाते में 20-25 और अन्य के खाते में 0-2 सीट आ सकती है. ऐसा ही कुछ हाल मगध रीजन में भी है. यहां की 51 सीटों में से एनडीए के पाले में 30-35 सीटें, महागठबंधन 17-22 और अन्य 0-1 सीट पर सिमट सकते हैं।

मिथिलांचल में एनडीए को सबसे बड़ा फायदा

एनडीए को सबसे बड़ा फायदा मिथिलांचल में मिलता दिख रहा है. यहां की 71 सीटों में एनडीए को 50-55, महागठबंधन को 18-23 और अन्य को 0-1 सीट मिलने की उम्मीद की जा रही है. बता दें कि इस क्षेत्र में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार ने सबसे ज्यादा फोकस किया था.

सीमांचल में कांटे की टक्कर

सीमांचल में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर रहने की उम्मीद है. 24 सीटों में से एनडीए को 10-12 सीटें, महागठबंधन को 8-10 सीटें और अन्य को 2-3 सीटें मिलने के आसार हैं. हालांकि अगर जेंडर वाइज वोट शेयरिंग की बात करें तो एनडीए को 52 प्रतिशत, महागठबंधन को 36 प्रतिशत, और जन सुराज पार्टी और अन्य को 6-6 प्रतिशत पुरुषों के वोट मिलने के अनुमान हैं. महिलाओं ने एनडीए पर विश्वास जताते हुए जमकर वोट डाला।एनडीए के खाते में 65 प्रतिशत, महागठबंधन को 27 प्रतिशत, जन सुराज पार्टी को 6 प्रतिशत, और अन्य को 2 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद है।

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