बंगाल विधानसभा चुनाव: मस्जिद–मंदिर, घुसपैठ और मुस्लिम तुष्टिकरण पर गरमाती सियासत
भाजपा–टीएमसी में धार्मिक ध्रुवीकरण की होड़; जो बाज़ी साधेगा जीत उसकी झोली में तय
अशोक झा / सिलीगुड़ी
2026 के बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति एक बार फिर मंदिर बनाम मस्जिद, घुसपैठ और मुस्लिम तुष्टिकरण जैसे मुद्दों पर उबलने लगी है। टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर के द्वारा मुर्शिदाबाद में “नई बाबरी मस्जिद” की नींव रखने की घोषणा और इस kiके जवाब में बीजेपी के शंखवाह सरकार द्वारा राम मंदिर और गीता पाठ का ऐलान—सीधे तौर पर बंगाल की चुनावी हवा को धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर मोड़ चुके हैं।
धार्मिक शक्ति-प्रदर्शन की टाइमिंग और टकराव
6 दिसंबर को ‘न्यू बाबरी मस्जिद’ के शिलान्यास का कार्यक्रम तय है। इसको लेकर पोस्टर आदि लगाने का कार्य भी जोरो पर हैं। इधर अगले ही दिन 7 दिसंबर को कोलकाता के परेड ग्राउंड में मंत्रोच्चार के साथ सामूहिक गीता पाठ का आयोजन होगा, जिसमें लगभग 5 लाख लोगों के जुटने का दावा है।
- बाबरी मस्जिद कार्यक्रम: मुर्शिदाबाद, मुस्लिम बहुल इलाका
- गीता पाठ: कोलकाता परेड ग्राउंड, लाखों लोगों के पहुंचने का अनुमान
- बाबरी कार्यक्रम में हजारों लोगों और इमामों को न्योता
- गीता पाठ में लगभग 2,000 साधु–संत, सभी समुदायों को आमंत्रण
मुर्शिदाबाद में ही बीजेपी नेताओं ने 6 दिसंबर 2025 को “राम मंदिर निर्माण संकल्प” वाले पोस्टर भी लगा दिए हैं। यह सीधा राजनीतिक संदेश है—“बाबरी बनाम गीता पाठ और राम मंदिर की लड़ाई अभी शुरू है।”
धर्म की राजनीति क्यों? कारण वोट बैंक
2011 की जनगणना के अनुसार बंगाल की 9 करोड़ आबादी में लगभग 2.5 करोड़ मुस्लिम हैं (27% से अधिक)।
294 विधानसभा सीटों में से लगभग 120 सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक होते हैं।
- 2016: TMC को मुस्लिम वोट 51%
- 2021: बढ़कर 75%
- हिंदू वोट TMC से दूर हुए, जिससे ध्रुवीकरण ने चुनावी परिदृश्य को और संवेदनशील बना दिया।
बीजेपी और टीएमसी—दोनों को इस बात का अंदाज़ा है कि धार्मिक मुद्दों की चिंगारी चुनावी फायदे में बदल सकती है।
घुसपैठ और SIR: नया बड़ा विवाद
बीजेपी नेताओं ने दावा किया है कि 23 वर्षों में बंगाल के नौ सीमावर्ती जिलों—उत्तर दिनाजपुर, मालदा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, उत्तर 24 परगना, नदिया और दक्षिण दिनाजपुर—में मतदाताओं की संख्या 70% से 105% तक बढ़ी है।
बीजेपी के मुताबिक यह “घुसपैठ का सीधा प्रमाण” है।
टीएमसी के मुताबिक यह “भ्रामक आंकड़े और राजनीतिक प्रोपेगेंडा” है।
SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) पर ममता बनर्जी लगातार विरोध कर रही हैं।
उनका कहना है—“दशकों से बसे लोगों को बाहरी कहना गलत है।”
ममता बनर्जी की चुनावी मजबूती
- राज्य की लगभग 100 सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक
- ‘लक्ष्मी भंडार योजना’ के माध्यम से करोड़ों महिलाओं को सीधा लाभ
- सॉफ्ट हिंदुत्व (पंडालों में उपस्थिति, मंत्रोच्चार) से हिंदू वोट में भी पकड़
- बांग्लादेश से सटे जिलों में शरणार्थी समुदायों का मजबूत समर्थन
2021 में
- टीएमसी: 213 सीटें
- बीजेपी: 77 सीटें
- वोट शेयर अंतर: लगभग 10%
बीजेपी का ‘मिशन बंगाल’
2026 चुनाव से पहले बीजेपी ने राज्य को 5 जोन में बांटकर 12 वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतार दिया है।
मुख्य जिम्मेदारी भूपेंद्र यादव को दी गई है, जबकि सह-प्रभारी बिप्लब देब होंगे।
बीजेपी का फोकस:
- घुसपैठ का मुद्दा
- SIR
- सीमावर्ती जिलों में हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण
- वेलफेयर योजनाओं का सीधा प्रचार
कहां है चुनावी लड़ाई?
राज्य की 294 में से लगभग 194 सीटें ऐसी हैं जहां मुकाबला टीएमसी बनाम बीजेपी है।
बीजेपी को सत्ता में आने के लिए 150 सीटों का लक्ष्य हासिल करना होगा—जो एक कठिन चुनौती है।
अंतिम तस्वीर
बंगाल में मस्जिद–मंदिर, घुसपैठ, SIR, शरणार्थी, मुस्लिम तुष्टिकरण, और धार्मिक शक्ति प्रदर्शन—ये सभी आने वाले महीने में राज्य को एक बड़े राजनीतिक रणभूमि में बदल देंगे।
कौन जीतेगा?
जवाब चुनाव आयोग की तारीख़ों के साथ ही स्पष्ट होगा।
लेकिन इतना तय है कि बंगाल में चुनावी ‘खेला’ शुरू हो चुका है।

